सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अमल का नाम है शायद By Qita << या ख़ादिम-ए-दीं होना या म... सामने दुख़्तर-ए-बरहमन है >> सुकून-ए-ज़िंदगी तर्क-ए-अमल का नाम है शायद न ख़ुश होता हूँ आसाँ से न घबराता हूँ मुश्किल से जुदाई पर भी हुस्न-ओ-इश्क़ की वाबस्तगी देखो कि मजनूँ आह करता है धुआँ उठता है महमिल से Share on: