ए'तिबार By Qita << हम-सफ़र अंजाम-ए-विसाल >> क़दम क़दम पे निगाहें पुकारती हैं मुझे नफ़स नफ़स का कोई ए'तिबार हो तो रुकूँ ये दिल कि था जो कभी मरकज़-ए-मोहब्बत भी किसी के वास्ते फिर बे-क़रार हो तो रुकूँ Share on: