सुना है चाह का दावा तुम्हारा By Qita << शाम और रस्ते में रेवड़ के... रात जब भीग के लहराती है >> सुना है चाह का दावा तुम्हारा कहो जो कुछ कि चाहो मेहरबाँ हो किनारा यूँ किया जाता नहीं फिर अगर पा-ए-मोहब्बत दरमियाँ हो Share on: