तुझ से बिछड़ा तो सोचता हूँ मैं By Qita << उस को किरनों ने दी है ताब... मय-कशी सुब्ह-ओ-शाम करता ह... >> तुझ से बिछड़ा तो सोचता हूँ मैं ख़ुद को कब तक सँभाल पाऊँगा जितनी बातें हैं उतनी यादें हैं कैसे कैसे उन्हें भुलाऊँगा Share on: