उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम By Qita << वाए इस जीने पर ऐ मस्ती कि... मुफ़लिसों को अमीर कहते है... >> उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम कौन से दिन मंढे चढ़ेगी बेल हाए ये इंतिज़ार के लम्हे जैसे सिगनल पे रुक गई हो रेल Share on: