उन के क्या रंग थे अब याद नहीं है मुझ को By Qita << ज़ुल्मतों को शराब-ख़ाने स... ज़ीस्त दामन छुड़ाए जाती ह... >> उन के क्या रंग थे अब याद नहीं है मुझ को कितने आँचल मिरी तख़ईल में लहराए हैं हाए भूले हुए चेहरों के दिल-आवेज़ नुक़ूश झिलमिलाते हुए अश्कों में झलक आए हैं Share on: