वो दिल नहीं रहा वो तबीअत नहीं रही By Qita << ये आरज़ुएँ ये जोश-ए-अलम य... वो बहर-ए-कर्ब-ओ-अलम का ख़... >> वो दिल नहीं रहा वो तबीअत नहीं रही वो शब को ख़ून रोने की आदत नहीं रही महसूस कर रहा हूँ मैं जीने की तल्ख़ियाँ शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं रही Share on: