ये आरज़ुएँ ये जोश-ए-अलम ये सैल-ए-नशात By Qita << ये बोसीदा फटी गुदड़ी ये स... वो दिल नहीं रहा वो तबीअत ... >> ये आरज़ुएँ ये जोश-ए-अलम ये सैल-ए-नशात ये दिल कि है तपिश-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ का सोता सितम सहे नहीं जाते भरी जवानी के मैं इब्तिदा-ए-जवानी में मर गया होता Share on: