यास में बेदारी-ए-एहसास का आलम न पूछ By Qita << तेरी ख़ुश-रंग चूड़ियाँ अब... ताब-ओ-ताक़त को तो रुख़्सत... >> यास में बेदारी-ए-एहसास का आलम न पूछ ठेस यूँ लगती है दिल पे तअना-ए-हमराज़ से जिस तरह सर्दी की अफ़्सुर्दा अँधेरी रात में आँख खुल जाती है चौकीदार की आवाज़ से Share on: