ये हवाएँ तो मुआफ़िक़ थीं बहुत By Qita << ज़िंदगी में लग चुका था ग़... उठाते हैं मज़े जौर-ओ-सितम... >> ये हवाएँ तो मुआफ़िक़ थीं बहुत क्यूँ हवाओं ने डुबो दी कश्ती एक तूफ़ाँ के शनावर ने कहा ना-ख़ुदाओं ने डुबो दी कश्ती Share on: