आँखें हैं कि पैग़ाम मोहब्बत वाले By Rubaai << अब जज़्बा-ए-वहशत की क़सम ... हक़ है तो कहाँ है फिर मजा... >> आँखें हैं कि पैग़ाम मोहब्बत वाले बिखरी हैं लटें कि नींद में हैं काले पहलू से लगा हुआ हिरन का बच्चा किस प्यार से है बग़ल में गर्दन डाले Share on: