आलम का वजूद है नुमूद-ए-बे-बूद Admin बूंद शायरी, Rubaai << ऐ तीनत अबस अब बदी से बाज़... किसी का राग़-ए-मतालिब किस... >> आलम का वजूद है नुमूद-ए-बे-बूद है आब-ए-सराब उस की हस्ती की नुमूद नैरंग-ए-तिलिस्म उस को कहना है बजा है वहम में मौजूद यक़ीं में मफ़क़ूद Share on: