ऐ तीनत अबस अब बदी से बाज़ आ Admin तेरी इबादत शायरी, Rubaai << हर सर में ये सौदा है कि म... आलम का वजूद है नुमूद-ए-बे... >> ऐ तीनत अबस अब बदी से बाज़ आ ऐ हुस्न-ए-इरादत अपना जल्वा दिखला नेकी का गुज़र न होने पाया दिल में अंजाम ब-ख़ैर हो जो हासिल हो सफ़ा Share on: