किसी का राग़-ए-मतालिब किसी का बाग़-ए-मुराद Admin मतलबी शायरी, Rubaai << आलम का वजूद है नुमूद-ए-बे... ख़त्त-ए-आज़ादी लिखा था शो... >> किसी का राग़-ए-मतालिब किसी का बाग़-ए-मुराद अवाम ख़ल्क़ को मंज़ूर है चराग़-ए-मुराद नहीं है अपनी मुराद 'आफ़रीदी' इस के सिवा अगरचे है भी तो साक़ी-ओ-यार अयाग़-ए-मुराद Share on: