आलिम ओ जाहिल में क्या फ़र्क़ है By Rubaai << उल्फ़त में मरे तो ज़िंदगी... एहसास में बे-ताबीे-ए-जाँ ... >> हैं जहल में सब आलिम ओ जाहिल हम-सर आता नहीं फ़र्क़ इस के सिवा उन में नज़र आलिम को है इल्म अपनी नादानी का जाहिल को नहीं जहल की कुछ अपने ख़बर Share on: