आशिक़ का ख़याल है बहुत नेक-मआश Admin Rubaai << अब तक जो कहीं हमारी क़िस्... ये संग-ए-निशाँ है मंज़िल-... >> आशिक़ का ख़याल है बहुत नेक-मआश होने नहीं देता हुस्न के राज़ को फ़ाश क्यों वस्ल में जुस्तुजू कमर की वो करे हाज़िर में न हुज्जत और न ग़ाएब की तलाश Share on: