एहसास को लफ़्ज़ों में पिरोने का फ़न Admin सोने की शायरी, Rubaai << 'अकबर' मुझे शक नह... अफ़्सोस उन पर फ़लक ने पाय... >> एहसास को लफ़्ज़ों में पिरोने का फ़न क़तरे का दुर-ए-ख़ुश-आब होने का फ़न कहते हैं रुबाई जिसे वो है 'नावक' कूज़े को समुंदर में समोने का फ़न Share on: