अंदाज़-ओ-अदा से कुछ अगर पहचानूँ Admin मगरूर शायरी, Rubaai << बाक़ी न रही हाथ में जब क़... ऐ नोश-ए-लब-ओ-माह-रुख़-ओ-ज... >> अंदाज़-ओ-अदा से कुछ अगर पहचानूँ अलबत्ता उसे ख़ुदा क़ाइल जानूँ काफ़िर मग़रूर बे-कीना-कश बे-बाक वो और ख़ुदा को माने क्यूँ कर मानूँ Share on: