असलियत अगर नहीं तो धोका ही सही By Rubaai << पैदल न मुझे रोज़-ए-शुमार ... हैं एक हकीम जी ब-शक्ल-ए-त... >> असलियत अगर नहीं तो धोका ही सही अल्लाह बहुत नहीं तो थोड़ा ही सही तस्कीन की आख़िर कोई सूरत भी तो हो रूयत मुमकिन नहीं तो रूया ही सही Share on: