बढ़ता हुआ हौसला न टूटे दिल का Admin मुस्तकबिल शायरी, Rubaai << बेबादा भी ग़म से दूर हो ज... तुम तेशा-ए-बाग़बाँ से क्य... >> बढ़ता हुआ हौसला न टूटे दिल का तू दायरा महदूद न कर मंज़िल का मुस्तक़बिल-ए-ज़र्रीं पे बहुत नाज़ न कर है हाल ही वो भी किसी मुस्तक़बिल का Share on: