दर पर मज़लूम इक पड़ा रोता है Admin Rubaai << जब बोलो तो बोलो ऐसे कलेमा... हो आँखें तो देख मेरे ग़म ... >> दर पर मज़लूम इक पड़ा रोता है बेचारा बला में मुब्तला रोता है कहता है वो शोख़ ताल-सम ठीक नहीं क्या उस की सुनूँ कि बे-सुरा रोता है Share on: