हो आँखें तो देख मेरे ग़म की तहरीर Admin आदमी पर शायरी, Rubaai << दर पर मज़लूम इक पड़ा रोता... भाए जो निगाह को वही रंग अ... >> हो आँखें तो देख मेरे ग़म की तहरीर पढ़ना हो तो पढ़ दीदा-ए-नम की तहरीर ऐ मौत ख़ुश-आमदीद इंशा-अल्लाह ज़िंदा मुझे रक्खेगी क़लम की तहरीर Share on: