जब बोलो तो बोलो ऐसे कलेमात Admin नात शायरी, Rubaai << दौलत भी है फ़ल्सफ़ा भी है... दर पर मज़लूम इक पड़ा रोता... >> जब बोलो तो बोलो ऐसे कलेमात मर्ग़ूब हों लोगों को जो मिस्ल-ए-नबात आ जाए किसी के शीशा-ए-दिल में बाल मुँह से न निकालो ऐसी कोई बात Share on: