दौलत भी है फ़ल्सफ़ा भी है जाह भी है Admin फलसफा शायरी, Rubaai << मश्शातगी-ए-ज़ुल्फ़-ए-सुख़... जब बोलो तो बोलो ऐसे कलेमा... >> दौलत भी है फ़ल्सफ़ा भी है जाह भी है लुत्फ़-ए-हुस्न-ए-बुतान-ए-दिल-ख़्वाह भी है सब से क़त-ए-नज़र है मुश्किल लेकिन इतना समझ रहो कि अल्लाह भी है Share on: