मश्शातगी-ए-ज़ुल्फ़-ए-सुख़न का एहसास Admin Rubaai << दिल-कश नहीं वो हसीं जिसे ... दौलत भी है फ़ल्सफ़ा भी है... >> मश्शातगी-ए-ज़ुल्फ़-ए-सुख़न का एहसास आराइश-ए-हुस्न-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न का एहसास लाज़िम है मगर मुहर्रिक-ए-तख़लीक़ात असलन है एक अधूरे-पन का एहसास Share on: