दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने By Rubaai << हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुम... दिल की जानिब रुजूअ होता ह... >> दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने उस्लूब-ए-सुख़न नया निकाला हम ने ज़र्रात को छोड़ कर हरीफ़ों के लिए ख़ुर्शीद पे बढ़ के हाथ डाला हम ने Share on: