हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी By Rubaai << हर रंग में इबलीस सज़ा देत... दिल रस्म के साँचे में न ढ... >> हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी हर आन है इक ख़्वाब-ए-गिराँ ऐ साक़ी अपने को कहीं रख के मैं भूला हूँ ज़रूर लेकिन ये नहीं याद कहाँ ऐ साक़ी Share on: