दुनिया करती है आदमी को बर्बाद Admin Rubaai << ग़फ़्लत की हँसी से आह भरन... शाएर शाएर है हो जो अहल-ए-... >> दुनिया करती है आदमी को बर्बाद अफ़्कार से रहती है तबीअ'त नाशाद दो चीज़ें हैं बस मुहाफ़िज़ दिल की उक़्बा का तसव्वुर और अल्लाह की याद Share on: