इक सैल रुका हुआ है अंदर मेरे Admin नवाब शायरी, Rubaai << इज्तिहाद साहिल पे अगर मिरा सफ़ीना ... >> इक सैल रुका हुआ है अंदर मेरे इक शोर नवाह-ए-जाँ से टकराया है तो बोल तो लब खोल दूँ मैं आख़िर-ए-शब सुनने की अगर ताब है मौला मेरे Share on: