साहिल पे अगर मिरा सफ़ीना आ जाए Admin जीने के लिए शायरी, Rubaai << इक सैल रुका हुआ है अंदर म... रुख़्सत अभी ज़ुल्मतों का ... >> साहिल पे अगर मिरा सफ़ीना आ जाए दुनिया तुझे जीने का क़रीना आ जाए बल नज़्अ' में आए जो मिरी आबरू पर माथे पे अजल के पसीना आ जाए Share on: