गो उस की नहीं लुत्फ़-ओ-इनायत बाक़ी Admin संजीदा शायरी, Rubaai << हो हिन्द का मद्ह-ख़्वाँ ब... गो कुछ भी वो मुँह से नहीं... >> गो उस की नहीं लुत्फ़-ओ-इनायत बाक़ी है उस से हमें एक हिकायत बाक़ी रंजीदा हुआ वो बद-गुमानी से तो हो है शिकवा न करने की शिकायत बाक़ी Share on: