हक़्क़ा कि बुलंद है मक़ाम-ए-अकबर Admin एपीजे अब्दुल कलाम शायरी, Rubaai << हर ख़्वाहिश-ओ-अर्ज़-ओ-इल्... है शुक्र दुरुस्त और शिकाय... >> हक़्क़ा कि बुलंद है मक़ाम-ए-अकबर तौक़ी-ए-सुख़न है अब ब-नाम-ए-अकबर दीवाँ है लताइफ़-ओ-हिक्म से मामूर 'अकबर' का कलाम है कलाम-ए-अकबर Share on: