हर ख़्वाहिश-ओ-अर्ज़-ओ-इल्तिजा से तौबा Admin अर्ज़ किया है शायरी, Rubaai << होती नहीं फ़िक्र से कोई अ... हक़्क़ा कि बुलंद है मक़ाम... >> हर ख़्वाहिश-ओ-अर्ज़-ओ-इल्तिजा से तौबा हर फ़िक्र से ज़िक्र से दुआ से तौबा अज़-बस कि मुहाल है समझना उस का जो आए समझ में उस ख़ुदा से तौबा Share on: