हर चंद गुनाहों से हूँ मैं नामा सियाह Admin जान तेरे नाम शायरी, Rubaai << जर्राह के सामने खोला फोड़... बे फ़ाएदा रखता नहीं सर हा... >> हर चंद गुनाहों से हूँ मैं नामा सियाह रहमत है कसीर उस की मुसहफ़ है गवाह ज़ाहिद नाजी हुआ और मुजरिम नारी ला-हौल-वला-क़ुव्वता-इल्ला-बिल्लाह Share on: