हर जल्वे से इक दर्स-ए-नुमू लेता हूँ By Rubaai << ख़ूँ हो के टपकती है तमन्न... क्या हाल अब उस से अपने दि... >> हर जल्वे से इक दर्स-ए-नुमू लेता हूँ लबरेज़ कई जाम-ओ-सुबू लेता हूँ पड़ती है जब आँख तुझ पर ऐ जान-ए-बहार संगीत की सरहदों को छू लेता हूँ Share on: