ख़ूँ हो के टपकती है तमन्ना देखो By Rubaai << ऐ ख़ालिक़-ए-ज़ुल-फ़ज़्ल-ओ... हर जल्वे से इक दर्स-ए-नुम... >> ख़ूँ हो के टपकती है तमन्ना देखो आशुफ़्तगी-ए-दिल का तमाशा देखो हाँ सब्र के दामन का सहारा न मिला बेताबी में होते हुए रुस्वा देखो Share on: