हर ज़र्रे पे फ़ज़्ल-ए-किबरिया होता है Admin जुदाई शायरी हिंदी इमेज, Rubaai << इस जिस्म की केचुली में इक... हर क़तरे में बहर-ए-मा'... >> हर ज़र्रे पे फ़ज़्ल-ए-किबरिया होता है इक चश्म-ए-ज़दन में क्या से क्या होता है असनाम दबी ज़बाँ से ये कहते हैं वो चाहे तो पत्थर भी ख़ुदा होता है Share on: