होती नहीं फ़िक्र से कोई अफ़्ज़ाइश Admin चुपके चुपके शायरी, Rubaai << हम आलम-ए-ख़्वाब में हैं य... हर ख़्वाहिश-ओ-अर्ज़-ओ-इल्... >> होती नहीं फ़िक्र से कोई अफ़्ज़ाइश चुपके रहने में है बड़ी आसाइश कहना सुनना तो है निहायत आसाँ कहने सुनने की हो अगर गुंजाइश Share on: