हर रंग में उम्मीद का तारा चमका By Rubaai << अब वक़्त-ए-सुरूर- ओ फ़रहत... चढ़ती हुई नद्दी है कि लहर... >> हर रंग में उम्मीद का तारा चमका सैलाब के आते ही किनारा चमका तारीक सही रात मगर देखो तो वो दौर-ए-बग़ावत का शरारा चमका Share on: