हर साँस में गुलज़ार से खिल जाते थे By Rubaai << क्यूँ अंजुमन-ए-ग़ैर में फ... महबूब ने पैरहन में जब इत्... >> हर साँस में गुलज़ार से खिल जाते थे हर लम्हे में जन्नत की हवा खाते थे क्या तुझ को मोहब्बत के वो अय्याम हैं याद जब पर्दा-ए-शब बजते थे दिन गाते थे Share on: