हर-चंद कि ख़स्ता ओ हज़ीं है आवाज़ By Rubaai << क़ामत है कि अंगड़ाइयाँ ले... प्रेमी को बुख़ार उठ नहीं ... >> हर-चंद कि ख़स्ता ओ हज़ीं है आवाज़ पर ताज़िया-दार शाह-ए-दीं है आवाज़ निकले न अगर कुंज-ए-दहन से तो बजा मातम के हैं दिन सोग-नशीं है आवाज़ Share on: