इक आलम-ए-ख़्वाब ख़ल्क़ पर तारी है Admin ताली पर शायरी, Rubaai << फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इं... दुनिया को न तू क़िबला-ए-ह... >> इक आलम-ए-ख़्वाब ख़ल्क़ पर तारी है ये ख़्वाब में कारख़ाना सब जारी है ये ख़्वाब नहीं यही समझना है ख़्वाब गर ख़्वाब का आलम है तो बेदारी है Share on: