इंकार न इक़रार न तस्दीक़ न ईजाब Admin जन्नत की शायरी, Rubaai << इंसाँ को चाहिए न हिम्मत ह... इख़्फ़ा के लिए है इस क़दर... >> इंकार न इक़रार न तस्दीक़ न ईजाब आ'माल न अफ़आ'ल न सुन्नत न किताब ख़ुद है न ख़ुदा है न ख़ुदी है न ख़ुदाई तौहीद के दरिया में हैं सब नक़्श-बर-आब Share on: