इंसान है ख़ुद इतना कसीर-उल-अतराफ़ Admin लाइफ शायरी, Rubaai << जाहिल भी हैं सुक़रात-ए-सन... ये दौर >> इंसान है ख़ुद इतना कसीर-उल-अतराफ़ इंसान को इंसाँ नज़र आता नहीं साफ़ हर शख़्स अभी कुछ है अभी कुछ अभी कुछ हर चेहरे पे इतने पुर-असरार ग़िलाफ़ Share on: