ये दौर Admin सस्ता शायरी, Rubaai << इंसान है ख़ुद इतना कसीर-उ... ललकार >> इस दौर-ए-बुलंदी में बड़ी पस्ती है सर-मस्ती है बद-मस्ती है ख़र-मस्ती है रोटी तो बहुत महँगी है यकसर महँगी मय सस्ती बहुत सस्ती बहुत सस्ती है Share on: