जाँ जाए पर उम्मीद न जाएगी कभी Admin आराम पर शायरी, Rubaai << जब बाप मुआ तो फिर है बेटा... इस वक़्त ज़माने में बहम ऐ... >> जाँ जाए पर उम्मीद न जाएगी कभी नींद आँख में आराम न पाएगी कभी ग़ैर आएगा क्यूँ ख़ाना-ए-दिल में तू आ ऐ पर्दा-नशीं यास न आएगी कभी Share on: