जब तक है हम में क़ौमी ख़सलत बाक़ी Admin Rubaai << जो हसरत-ए-दिल है वो निकलन... इस बज़्म से सब के सब उठे ... >> जब तक है हम में क़ौमी ख़सलत बाक़ी बे-शक पर्दे की है ज़रूरत बाक़ी चालीस बरस की बात है ये शायद बाद इस के रहेगी फिर न हुज्जत बाक़ी Share on: