जब तक कि सबक़ मिलाप का याद रहा Admin सबक शायरी, Rubaai << जिस दर्जा हो मुश्किलात की... जब गू-ए-ज़मीं ने उस पे डा... >> जब तक कि सबक़ मिलाप का याद रहा बस्ती में हर एक शख़्स दिल-शाद रहा जब रश्क-ओ-हसद ने फूट इन में डाली दोनों में से एक भी न आबाद रहा Share on: