ज़ाहिर में अगरचे यार ग़म-ख़्वार नहीं Admin Rubaai << दुनिया भी अजब सरा-ए-फ़ानी... यहाँ काल से है तरह तरह की... >> ज़ाहिर में अगरचे यार ग़म-ख़्वार नहीं पर इश्क़ की तासीर भी बेकार नहीं जब जान कहा उसे वो आज़ुर्दा हुआ क्यूँ कर मानूँ कि वो वफ़ादार नहीं Share on: