जो तेज़ क़दम थे वो गए दूर निकल Admin रोज डे शायरी हिन्दी, Rubaai << काफ़िर को है बंदगी बुतों ... जो साहिब-ए-मक्रमत थे और द... >> जो तेज़ क़दम थे वो गए दूर निकल देखे-भाले बहुत मक़ामात-ओ-महल इस राह का पर कहीं न पाया अंजाम या'नी है वही हनूज़ रोज़-ए-अव्वल Share on: